DA Hike Updates – इन दिनों मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बहुत बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, राज्य सरकार ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में 4% की बढ़ोतरी का ऐलान किया है, लेकिन इस बढ़ोतरी का फायदा कर्मचारियों को थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान ने अपने कर्मचारियों के DA में 4% की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है, लेकिन मध्य प्रदेश में इस पर अभी भी राजनीति हो रही है। दरअसल, चुनावी आचार संहिता की वजह से कर्मचारियों को फिलहाल इसे लेकर इंतजार करना पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश में DA बढ़ोतरी पर विवाद
जबकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी हो चुकी है, MP में यह मुद्दा अभी भी अटका हुआ है। सरकारी कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि सरकार जानबूझकर इस मामले को लटका रही है। इनका कहना है कि अगर सरकार चाहती, तो वह चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर जल्द से जल्द फैसला ले सकती थी, लेकिन अब तक सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस कारण कर्मचारियों को हर महीने काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
चुनावी आचार संहिता की वजह से देरी
चुनाव आयोग ने इस बात की हिदायत दी थी कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार के वित्तीय लाभ या भत्ते के भुगतान पर रोक रहेगी। इस कारण राज्य सरकार को महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी पर फैसला लेने में देरी हो रही है। हालांकि, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनावी आचार संहिता के बावजूद DA बढ़ोतरी को मंजूरी मिल गई है, तो ऐसे में मध्य प्रदेश में इस पर देरी क्यों हो रही है, यह सवाल उठा रहा है।
वित्त विभाग का नया प्रस्ताव
कर्मचारी संगठनों के दबाव के बाद, वित्त विभाग ने एक बार फिर चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजा है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर चुनाव आयोग ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव परिणामों के बाद ही इस मामले में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। मध्य प्रदेश में चुनाव के परिणाम 3 मई को आएंगे, और उसके बाद ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा।
4% वृद्धि का आर्थिक असर
मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को फिलहाल 42% महंगाई भत्ता मिल रहा है। यदि 4% की बढ़ोतरी होती है, तो यह बढ़कर 46% हो जाएगा। यह बढ़ोतरी जुलाई 2025 से लागू होनी है। इसका मतलब यह है कि कर्मचारियों को जनवरी से लेकर नवंबर तक का एरियर भी मिलेगा। इस वृद्धि से कर्मचारियों को हर महीने 600 रुपये से लेकर 5,700 रुपये तक का फायदा होगा। राज्य सरकार के करीब 7 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा, लेकिन इसका वित्तीय बोझ सरकार पर करीब 350 करोड़ रुपये का पड़ेगा।
कर्मचारी संगठनों की नाराजगी
महाराष्ट्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ जैसे संगठनों ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि कर्मचारियों को जल्द से जल्द DA बढ़ोतरी का फायदा मिलना चाहिए और सरकार को इस मामले में राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तरह तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। इन संगठनों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में DA वृद्धि कर्मचारियों के लिए एक अहम राहत है, और इसकी देरी से उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है।
चुनावी आचार संहिता का प्रभाव
चुनाव आयोग ने प्रशासनिक और वित्तीय निर्णयों पर रोक लगा रखी है, जो कि एक तरह से चुनावी लाभ के रूप में माना जा सकता है। हालांकि, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि DA बढ़ोतरी एक नियमित प्रक्रिया है और इसे चुनावी लाभ नहीं माना जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ और राजस्थान के उदाहरण से यह साफ है कि चुनावी आचार संहिता के बावजूद अगर सरकार चाहे तो DA वृद्धि को मंजूरी दे सकती है।
चुनाव के बाद की संभावनाएं
चुनाव परिणामों के बाद, नई सरकार के गठन के साथ ही DA वृद्धि पर निर्णय लिया जा सकता है। कर्मचारियों के बीच बढ़ती नाराजगी और असंतोष को देखते हुए, यह संभव है कि चुनाव परिणाम आते ही सरकार इस मुद्दे को प्राथमिकता दे। इसके साथ ही, केंद्रीय कर्मचारियों को भी 46% DA मिल रहा है, और राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों के लिए यही दर मंजूर करने की दिशा में काम करेगी।
कर्मचारियों की उम्मीदें
महंगाई भत्ता (DA) कर्मचारियों के लिए आर्थिक राहत का एक प्रमुख जरिया है। यह भत्ता AICPI (ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) में बढ़ोतरी के आधार पर बढ़ता है, ताकि कर्मचारियों की क्रय शक्ति बनी रहे। कर्मचारी संगठनों की उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द DA वृद्धि को लागू करेगी, ताकि कर्मचारियों को राहत मिल सके। विशेष रूप से, एरियर का भुगतान एक बड़ी राहत साबित होगा, जो कर्मचारी पिछले कई महीनों से इंतजार कर रहे हैं।