Pension Scheme – हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक बहुत ही सराहनीय कदम उठाया है। उन्होंने 1957 के हिंदी आंदोलन में भाग लेने वाले मातृभाषा सत्याग्रहियों की पेंशन बढ़ा दी है। पहले इन लोगों को हर महीने 15,000 रुपये पेंशन मिलती थी, अब इसे बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दिया गया है। यानी अब हर महीने 5,000 रुपये ज्यादा मिलेंगे। सरकार ने ये फैसला उन लोगों के सम्मान में लिया है, जिन्होंने हिंदी भाषा के लिए लड़ाई लड़ी थी।
किसे मिलेगा फायदा?
फिलहाल हरियाणा में कुल 161 ऐसे लोग हैं (या उनके पति/पत्नी) जो इस योजना का लाभ ले रहे हैं। पहले इन्हें हर साल सरकार की ओर से कुल मिलाकर करीब 2.9 करोड़ रुपये की पेंशन दी जाती थी। अब पेंशन बढ़ने से सालाना खर्च 3.86 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। इससे सरकार पर थोड़ा ज्यादा बोझ तो पड़ेगा, लेकिन इन परिवारों की जिंदगी में एक बड़ी राहत जरूर आएगी।
क्यों खास था 1957 का आंदोलन?
1957 का हिंदी आंदोलन कोई छोटा मोटा आंदोलन नहीं था। यह स्वतंत्र भारत में भाषा को लेकर हुआ एक अहम जनआंदोलन था। इस दौरान बहुत सारे लोगों ने अपनी मातृभाषा यानी हिंदी को पहचान दिलाने के लिए जेल जाने तक का संघर्ष किया। हरियाणा के लोग इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर शामिल हुए थे। ऐसे में सरकार का यह कदम उन सभी योद्धाओं की कुर्बानी को सम्मान देने जैसा है।
शहीदों के परिवारों को भी राहत
सिर्फ पेंशन में ही नहीं, बल्कि हरियाणा सरकार ने शहीद जवानों के परिवारों के लिए दी जाने वाली अनुग्रह राशि भी बढ़ा दी है। पहले यह राशि 50 लाख रुपये थी, अब इसे दोगुना करके 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह उन परिवारों के लिए एक बहुत बड़ी आर्थिक मदद है, जिन्होंने देश के लिए अपने बेटे या पति को खोया है।
सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम
हरियाणा सरकार के ये फैसले दिखाते हैं कि वह समाज के उन लोगों की परवाह करती है, जिन्होंने देश या भाषा के लिए कुछ बड़ा किया है। चाहे वो मातृभाषा सत्याग्रही हों या देश के लिए जान देने वाले जवान – दोनों के लिए सरकार ने अपना समर्थन जताया है। ऐसे फैसले सिर्फ आर्थिक मदद नहीं होते, ये समाज में एक पॉजिटिव मैसेज भी देते हैं।
लोगों की प्रतिक्रिया
इस घोषणा के बाद हरियाणा के कई परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई है। जिन परिवारों ने अपने बुजुर्गों को आंदोलन में हिस्सा लेते देखा था, उनके लिए ये गर्व की बात है। वहीं, शहीद परिवारों के लिए भी यह राहत की खबर है। हां, कुछ लोग ये जरूर कह रहे हैं कि महंगाई को देखते हुए यह राशि और भी ज्यादा हो सकती थी, लेकिन फिर भी ज्यादातर लोगों ने इस कदम का स्वागत किया है।
आगे क्या उम्मीद की जा रही है?
सरकार के इस फैसले को देखकर लगता है कि आने वाले समय में और भी राज्य ऐसी योजनाएं लागू कर सकते हैं। इससे एक अच्छा संदेश जाएगा और शायद युवा भी देशभक्ति और सामाजिक सेवा की ओर आकर्षित होंगे। विशेषज्ञों का भी मानना है कि अगर ऐसे फैसले लगातार आते रहे तो समाज में बदलाव दिखेगा।
हरियाणा सरकार का यह फैसला एक छोटा कदम जरूर है, लेकिन बहुत मायने रखता है। पेंशन और अनुग्रह राशि बढ़ाकर सरकार ने न सिर्फ आर्थिक मदद दी है, बल्कि यह दिखा दिया है कि वह उन लोगों को नहीं भूलती जिन्होंने कुछ खास किया है। उम्मीद है, ऐसे फैसले आगे भी लिए जाते रहेंगे और समाज के हर वर्ग को बेहतर जीवन जीने का मौका मिलेगा।