Land Registry New Rules – भारत में जमीन और प्रॉपर्टी खरीदना अब थोड़ा अलग होने वाला है। सरकार ने 2025 से जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में कई बड़े बदलाव करने का फैसला लिया है। मकसद है पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना, फर्जीवाड़ा रोकना और लोगों को एक सुरक्षित सिस्टम देना। लेकिन इसके साथ ही नए टैक्स और शुल्क भी जुड़ने वाले हैं, जो आम जनता की जेब पर असर डाल सकते हैं।
चलिए जानते हैं कि 2025 से जमीन की रजिस्ट्री कैसे बदलने वाली है, नया टैक्स कैसा होगा और इसका सीधा असर किन लोगों पर पड़ेगा।
जमीन रजिस्ट्री का मतलब क्या है
जब भी आप कोई जमीन या संपत्ति खरीदते हैं, तो उसे अपने नाम पर कानूनी तौर पर दर्ज करवाना पड़ता है। इसे ही जमीन की रजिस्ट्री कहा जाता है। इससे यह साबित होता है कि अब आप उस प्रॉपर्टी के असली मालिक हैं। बिना रजिस्ट्री के संपत्ति का मालिकाना हक साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है।
2025 में क्या-क्या नए बदलाव होंगे
सरकार ने रजिस्ट्री प्रक्रिया को डिजिटल बनाने का फैसला लिया है। अब आपको हर कागज की फिजिकल कॉपी लेकर रजिस्ट्रार ऑफिस के चक्कर नहीं काटने होंगे। सब कुछ ऑनलाइन हो जाएगा।
नई प्रक्रिया में आधार कार्ड लिंक करना भी जरूरी कर दिया गया है। साथ ही रजिस्ट्री के दौरान पूरा लेनदेन रिकॉर्ड करने के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग भी अनिवार्य होगी। इसका फायदा यह होगा कि बाद में कोई विवाद होने पर वीडियो सबूत के तौर पर पेश किया जा सकेगा।
क्या लगेगा नया टैक्स
अब बात करते हैं सबसे बड़े सवाल की। तो हां, 2025 से रजिस्ट्री पर आपको थोड़ा ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस में बदलाव किया गया है। संपत्ति के मूल्य के हिसाब से टैक्स की दरें तय की गई हैं।
अगर आपकी प्रॉपर्टी की कीमत बीस लाख रुपये तक है तो आपको दो प्रतिशत स्टांप ड्यूटी देनी होगी। इक्कीस लाख से पैंतालीस लाख तक की प्रॉपर्टी पर तीन प्रतिशत और पैंतालीस लाख से ऊपर की प्रॉपर्टी पर पांच प्रतिशत स्टांप ड्यूटी लगेगी।
इसके अलावा कुछ अतिरिक्त शुल्क भी जोड़ दिए गए हैं। शहरों में आपको दो प्रतिशत अधिभार और गांवों में तीन प्रतिशत अधिभार देना पड़ेगा, अगर प्रॉपर्टी की कीमत पैंतीस लाख से ज्यादा है। साथ ही शहरी इलाकों में सेस भी लगेगा, जिसकी दर दस प्रतिशत तय की गई है।
नए नियम क्यों लाए गए हैं
पुरानी व्यवस्था में भ्रष्टाचार और फर्जी दस्तावेजों की समस्या आम थी। कई बार लोग बिना असली मालिक बने प्रॉपर्टी बेचने या खरीदने का काम कर लेते थे। अब आधार कार्ड लिंक और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन से इन गड़बड़ियों पर लगाम लगेगी।
डिजिटल रजिस्ट्रेशन से प्रक्रिया पारदर्शी और तेज हो जाएगी। अब किसी को बिचौलियों के चक्कर में फंसने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही, सरकारी रिकॉर्ड भी ज्यादा सही और सुरक्षित होंगे।
आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा
अगर आप नया घर या जमीन खरीदने का सोच रहे हैं, तो आपके बजट पर थोड़ा असर पड़ सकता है। स्टांप ड्यूटी और अतिरिक्त शुल्क के चलते कुल खरीद कीमत में बढ़ोतरी हो जाएगी। लेकिन अच्छी बात यह है कि अब आपको लंबी लाइनें लगाने, ऑफिस में दिन बिताने या रिश्वत देने जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी।
विक्रेताओं के लिए भी कुछ नियम सख्त हो गए हैं। अब बिना पूरे दस्तावेज के प्रॉपर्टी बेचना आसान नहीं होगा। सही पेपर तैयार करना और रजिस्ट्री के समय सारी जानकारी सही देना जरूरी हो गया है।
रियल एस्टेट सेक्टर पर क्या प्रभाव पड़ेगा
रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता तो बढ़ेगी, लेकिन थोड़े समय के लिए प्रॉपर्टी की कीमतों में इजाफा हो सकता है। प्रोजेक्ट बनाने वाली कंपनियों को भी अपने दस्तावेजों को पूरी तरह ठीक रखना पड़ेगा, जिससे प्रोजेक्ट की लागत थोड़ी बढ़ सकती है।
लेकिन लंबे समय में यह बदलाव बाजार को ज्यादा सुरक्षित और निवेशकों के लिए भरोसेमंद बनाएंगे।
नया रजिस्ट्री प्रोसेस कैसे चलेगा
सबसे पहले आपको जरूरी दस्तावेजों को ऑनलाइन जमा करना होगा। फिर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का ऑनलाइन भुगतान करना होगा। इसके बाद बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन और वीडियो रिकॉर्डिंग होगी। आखिर में डिजिटल सिग्नेचर से रजिस्ट्री पूरी होगी और आपको एक डिजिटल प्रमाणपत्र मिल जाएगा जो आपकी प्रॉपर्टी का कानूनी सबूत होगा।
2025 से जमीन की रजिस्ट्री से जुड़ा यह नया सिस्टम देश में बड़ा बदलाव लेकर आएगा। जहां एक तरफ खरीदारों और विक्रेताओं को थोड़ी ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी, वहीं दूसरी तरफ लेन-देन की प्रक्रिया ज्यादा सुरक्षित, पारदर्शी और सुविधाजनक हो जाएगी। इसलिए अगर आप भविष्य में कोई प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने का सोच रहे हैं, तो इन नए नियमों को ध्यान में रखकर ही अपनी योजना बनाएं।