Cheque Bounce Rules – आजकल ज्यादातर लोग पेमेंट के लिए चेक का इस्तेमाल करते हैं। बिज़नेस हो या पर्सनल लेनदेन, चेक एक भरोसेमंद तरीका माना जाता है। लेकिन कई बार चेक बाउंस हो जाने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसको लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो चेक देने वाले हर इंसान के लिए जानना ज़रूरी है।
क्यों होता है चेक बाउंस?
चेक बाउंस होने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं –
- सबसे कॉमन कारण है खाते में पैसे ना होना।
- कभी-कभी साइन मैच नहीं करते।
- कुछ लोग चेक पर ओवरराइटिंग कर देते हैं।
- या फिर ऐसा भी होता है कि चेक जारी करने के बाद खुद ही उसका पेमेंट स्टॉप करवा देते हैं।
- कई बार ऐसा भी होता है कि जिस खाते का चेक दिया गया है, वो खाता पहले ही बंद हो चुका होता है।
इन सब वजहों से जब चेक बाउंस होता है, तो सामने वाले को पेमेंट नहीं मिल पाता और मामला सीधे कोर्ट-कचहरी तक पहुंच सकता है।
अब हाईकोर्ट ने क्या कहा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक बहुत अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर चेक बाउंस होता है – चाहे वजह कुछ भी हो, जैसे खाता बंद होना, साइन का ना मिलना, या खाते में पैसे ना होना – तो इसके लिए चेक जारी करने वाला ही जिम्मेदार माना जाएगा।
यानि अब ये बहाना नहीं चलेगा कि “मुझे नहीं पता था खाते में पैसे नहीं थे” या “मैंने तो साइन किए थे, बैंक ने ही मना कर दिया।”
कानून क्या कहता है?
चेक बाउंस का मामला Negotiable Instruments Act, 1881 की धारा 138 के तहत आता है। अगर किसी ने जानबूझकर चेक ऐसा दिया है, जो बाउंस हो सकता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
इसमें जुर्माना भी लग सकता है और जेल की सजा भी हो सकती है। कोर्ट केस के हिसाब से फैसला करता है –
- या तो चेक की रकम का दोगुना जुर्माना लग सकता है,
- या फिर दो साल तक की सजा,
- या फिर दोनों चीजें भी हो सकती हैं।
बैंक भी लगाता है पेनल्टी
चेक बाउंस होने पर सिर्फ कोर्ट की सजा ही नहीं होती, बैंक भी अपना जुर्माना वसूलता है। आमतौर पर बैंक हर बाउंस चेक पर कुछ सौ रुपये से लेकर हजार रुपये तक की पेनल्टी आपके खाते से काट लेता है।
अगर बार-बार ऐसा होता है, तो बैंक आपका चेकबुक तक बंद कर सकता है या भविष्य में चेक जारी करने से मना कर सकता है।
चेक देते समय किन बातों का रखें ध्यान?
अब जब चेक बाउंस को लेकर हाईकोर्ट इतना सख्त हो गया है, तो ज़रूरी है कि कुछ बातों का खास ख्याल रखा जाए:
- खाते में पैसा है या नहीं, पहले ये अच्छी तरह चेक कर लें।
- चेक पर सही और एक जैसे हस्ताक्षर करें, जो बैंक में दिए हुए हैं।
- ओवरराइटिंग या कटिंग न करें, इससे चेक रिजेक्ट हो सकता है।
- ऐसा चेक न दें जिसका खाता बंद हो चुका हो।
- चेक देने के बाद स्टॉप पेमेंट न करवाएं, वरना आप खुद फंस सकते हैं।
अब क्या करें अगर चेक बाउंस हो गया है?
अगर आपने किसी को चेक दिया और वो बाउंस हो गया, तो तुरंत उस व्यक्ति से संपर्क करें और मामला आपसी बातचीत से सुलझाने की कोशिश करें। कई बार अगर बात कोर्ट तक जाती है तो समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है।
अगर आपको किसी ने बाउंस चेक दिया है, तो आप उसे लीगल नोटिस भेज सकते हैं। अगर 15 दिन के अंदर उसने पैसे नहीं लौटाए, तो आप उसके खिलाफ केस दर्ज करवा सकते हैं।
चेक से लेनदेन करना आज भी एक सुरक्षित तरीका है, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही से आप कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब चेक देने से पहले सौ बार सोचिए। खाते में रकम है या नहीं, साइन सही हैं या नहीं, सब कुछ पहले ही जांच लीजिए ताकि आपको किसी भी तरह की परेशानी ना हो।