EPFO Pension Scheme- अगर आप अपने रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा की चिंता कर रहे हैं और नौकरी कर रहे हैं, तो आपके लिए ईपीएफओ की पेंशन योजना एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। यह योजना खासतौर पर उन लोगों के लिए है जो नौकरी करते हैं और रिटायरमेंट के बाद एक सुनिश्चित आय चाहते हैं। इस योजना के तहत कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को कर्मचारी के वेतन से एक निश्चित राशि पेंशन फंड में जमा करनी होती है, जो फिर रिटायरमेंट के बाद जीवनभर पेंशन के रूप में मिलती रहती है।
ईपीएफओ की पेंशन योजना
ईपीएफओ की पेंशन योजना को सामाजिक सुरक्षा योजना भी कहा जाता है, क्योंकि यह योजना कर्मचारियों को उनके बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। अब सवाल ये उठता है कि अगर बीच में नौकरी छोड़ दी जाए या नौकरी बदल ली जाए, तो क्या इससे पेंशन पर कोई असर पड़ेगा? इसका उत्तर है – नहीं। पेंशन पर किसी भी तरह का असर नहीं होगा, बशर्ते आप अपने यूएएन को एक्टिव रखें और नई नौकरी में उसी यूएएन का इस्तेमाल करें।
नौकरी में ब्रेक लेने पर पेंशन पर असर नहीं पड़ता
कई बार ऐसा होता है कि हम अपनी नौकरी के बीच में कुछ समय के लिए ब्रेक ले लेते हैं या फिर नौकरी बदलने की स्थिति में होते हैं। इस स्थिति में लोग सोचते हैं कि क्या उनका पेंशन फंड प्रभावित होगा। तो आपको यह जानकर राहत मिलेगी कि यदि आप बीच में नौकरी बदलते हैं या ब्रेक लेते हैं, तो आपकी पेंशन पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। आपकी पेंशन के लिए केवल यह जरूरी है कि आपका यूएएन एक्टिव रहे और आप नए नौकरी में उसी यूएएन का उपयोग करें।
10 साल की सेवा जरूरी है
ईपीएफओ की पेंशन योजना का लाभ तभी मिलेगा, जब आप कम से कम 10 साल तक काम करेंगे। यह 10 साल की सेवा अवधि पूरी तरह से लगातार या जोड़कर हो सकती है। इसका मतलब यह है कि अगर आपने किसी कंपनी में 5 साल काम किया और फिर दूसरी कंपनी में 5 साल और काम किया, तो आपकी कुल सेवा अवधि 10 साल हो जाएगी और आप पेंशन के लिए योग्य हो जाएंगे।
यूएएन का महत्व
यूएएन (Universal Account Number) एक बहुत महत्वपूर्ण नंबर है जो ईपीएफओ द्वारा कर्मचारियों को दिया जाता है। यह नंबर कर्मचारी के सभी पीएफ खातों को एक जगह जोड़ने का काम करता है और इसके माध्यम से ही आपकी सेवा अवधि की गणना की जाती है। इसलिए, नौकरी बदलते वक्त या ब्रेक लेते वक्त यह जरूरी है कि आपका यूएएन एक्टिव रहे।
नौकरी में ब्रेक लेने के बाद सेवा अवधि की गणना
मान लीजिए, आपने किसी कंपनी में 5 साल काम किया और फिर 2 साल का ब्रेक लिया। इसके बाद आपने नई कंपनी जॉइन की और वहां पर 5 साल से ज्यादा का समय काम किया। अगर आपने नई कंपनी में वही यूएएन नंबर इस्तेमाल किया है जो आपने पुरानी कंपनी में इस्तेमाल किया था, तो पुरानी कंपनी के 5 साल की सेवा अवधि को जोड़कर कुल 10 साल की सेवा अवधि हो जाएगी और आप पेंशन पाने के लिए योग्य हो जाएंगे।
पेंशन की गणना
ईपीएफओ की पेंशन की गणना आपके अंतिम वेतन और सेवा अवधि के आधार पर की जाती है। यदि आपकी सेवा अवधि 10 साल से अधिक है, तो आपको एक निश्चित फार्मूले के अनुसार पेंशन प्राप्त होगी। अगर आपकी सेवा अवधि 10 साल से कम है, तो आपको पेंशन नहीं मिलेगी, लेकिन इस स्थिति में आप अपने पेंशन फंड में जमा की गई राशि को निकाल सकते हैं, हालांकि उस राशि पर आपको कोई ब्याज नहीं मिलेगा।
पेंशन को सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
- नौकरी बदलने या ब्रेक लेने के दौरान हमेशा अपने यूएएन को एक्टिव रखें।
- जब आप नई नौकरी शुरू करें, तो पुरानी कंपनी का यूएएन नंबर नियोक्ता को जरूर दें ताकि आपके पुराने पीएफ खाते में योगदान जमा हो सके।
- अपने पीएफ और पेंशन खाते की नियमित रूप से जांच करते रहें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योगदान सही तरीके से जमा हो रहा है या नहीं।
यूएएन को एक्टिव रखने का तरीका
यूएएन को एक्टिव रखने के लिए आपको ईपीएफओ की आधिकारिक वेबसाइट पर समय-समय पर अपनी बैंक अकाउंट डिटेल्स और अन्य जानकारी चेक करनी चाहिए। यदि आपने नौकरी छोड़ दी है या ब्रेक लिया है, तो भी आपका यूएएन एक्टिव रहेगा, लेकिन इसे कभी रद्द नहीं करना चाहिए। जब आप नई नौकरी शुरू करें, तो अपने नियोक्ता को अपना यूएएन नंबर दें, ताकि आपके पुराने पीएफ खाते में ही योगदान जमा हो सके। इस तरह से आप अपनी सेवा अवधि को जोड़ सकते हैं और पेंशन प्राप्त करने के लिए 10 साल की सेवा अवधि पूरी कर सकते हैं।